अब बैंक नहीं कर पाएंगे मनमानी डिजिटल फ्रॉड पर कोर्ट की सख्ती

दिल्ली हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: सरवर रज़ा बनाम RBI ओम्बड्समैन एवं सिटी बैंक 2025

दिल्ली हाई कोर्ट ने वर्ष 2025 में एक ऐसा ऐतिहासिक निर्णय दिया जिसने पूरे देश में बैंकिंग शिकायत प्रणाली, डिजिटल फ्रॉड, रिकवरी एजेंट्स के व्यवहार और उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण को नई दिशा दी। यह फैसला केवल एक उपभोक्ता की लड़ाई नहीं था, बल्कि भारत में बैंकिंग उपभोक्ताओं को मिलने वाले न्याय और सुरक्षा के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ।

मामले की पृष्ठभूमि: क्रेडिट कार्ड फ्रॉड से शुरू हुई यात्रा

जनवरी 2022 में दिल्ली के अधिवक्ता सरवर रज़ा को Citibank द्वारा एक क्रेडिट कार्ड जारी किया गया। सब कुछ सामान्य था, लेकिन 5 अप्रैल 2022 को बैंक ने अचानक उन्हें दूसरा कार्ड जारी कर दिया—वह भी बिना किसी आवेदन या अनुमति के।

ग्राहक ने इस कार्ड को activate भी नहीं किया था, लेकिन अगले ही दिन Paytm Rent Payment के नाम पर ₹76,777 की बड़ी fraudulent transaction हो गई। जब 12 अप्रैल को ईमेल स्टेटमेंट मिला, तभी पहली बार इस फ्रॉड का पता चला और ग्राहक ने तुरंत बैंक और साइबर सेल में शिकायत दर्ज की।

OTP किस नंबर पर गया? बैंकिंग सिस्टम की सबसे बड़ी खामी उजागर

बैंक ने शुरुआत में provisional refund दिया, लेकिन बाद में complaint बंद कर दी। बैंक का दावा था कि यह transaction APIN, IPIN और OTP के माध्यम से हुआ है।

सबसे बड़ा सवाल यह था कि OTP आखिर किस नंबर पर गया? ग्राहक ने अपना मोबाइल नंबर बदलने से इनकार किया था। बाद में पता चला कि ग्राहक का registered mobile number बैंक सिस्टम में बदल दिया गया था—यह cyber fraud का सामान्य तरीका है जिसे SIM Swap या OTP Redirection कहा जाता है।

इसके बाद बैंक ने न केवल refund वापस ले लिया, बल्कि interest और penalty जोड़कर recovery भी शुरू कर दी।

Ombudsman की ऑटो-रिजेक्शन प्रणाली पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी

जब ग्राहक ने शिकायत को RBI Ombudsman तक पहुंचाया, उन्हें विश्वास था कि अब न्याय मिलेगा। लेकिन Ombudsman ने दोनों शिकायतें “auto-reject” कर दीं।

पहली शिकायत इसलिए reject हुई कि वह वकील के माध्यम से दर्ज की गई थी। दूसरी शिकायत एक कॉलम गलत भरने के कारण reject हुई। सबसे चिंताजनक बात यह थी कि यह दोनों rejection किसी मानव अधिकारी ने नहीं, बल्कि एक computer system ने किए।

हाई कोर्ट ने इस प्रक्रिया को उपभोक्ता अधिकारों का सीधा उल्लंघन बताया और कहा कि यह प्रणाली न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है।

रिकवरी एजेंट्स की बदसलूकी और कोर्ट की नाराज़गी

कोर्ट ने आदेश दिया था कि केस लंबित रहने तक ग्राहक पर कोई दबाव नहीं डाला जाएगा। लेकिन बैंक ने demand notice भेजा, recovery calls किए और यहां तक कि recovery agents को घर भेज दिया।

रिकवरी एजेंट्स ने ग्राहक से कहा कि ₹80,000 देकर मामला “settle” कर लो। यह सीधा-सीधा कोर्ट की अवमानना था, और इसके बाद ग्राहक ने contempt petition दायर की।

बैंकिंग पारदर्शिता पर कोर्ट की कठोर टिप्पणी

कोर्ट ने General Manager को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया और पूछा कि automated emails कौन भेजता है और कौन अधिकारी जिम्मेदार है।

कोर्ट ने कहा कि ग्राहक को पता ही नहीं चलता कि उसकी शिकायत किसके पास जा रही है, कौन उसे सुन रहा है, और कैसे निर्णय लिया जा रहा है। यह पूरी प्रणाली आम उपभोक्ता के साथ अन्याय करती है।

हाई कोर्ट के 7 बड़े आदेश

1. बैंक विवादित राशि पर किसी भी प्रकार का interest, charges या penalty नहीं लगाएगा।

2. ग्राहक का CIBIL score तुरंत restore किया जाएगा।

3. रिकवरी एजेंट्स की बदसलूकी पर बैंक ग्राहक को ₹1,00,000 का मुआवज़ा देगा।

4. RBI Ombudsman अब कोई भी complaint automated system से reject नहीं कर सकता।
हर complaint का अंतिम निर्णय कम से कम 10 वर्ष के अनुभव वाले मानव अधिकारी द्वारा किया जाएगा।

5. RBI अपने Ombudsman कार्यालयों में staff बढ़ाएगा।

6. सभी बैंकों को अपनी वेबसाइट पर complaint escalation का स्पष्ट flowchart दिखाना अनिवार्य होगा।

7. RBI Deputy Governor को 15 जनवरी 2026 तक अनुपालन रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करनी होगी।

इस फैसले का राष्ट्रीय प्रभाव

यह निर्णय केवल एक व्यक्ति की जीत नहीं, बल्कि पूरे भारत के बैंकिंग उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षा कवच है। अब बैंक automated systems को shield की तरह उपयोग नहीं कर पाएंगे।

अब recovery agents की बदतमीजी की कीमत बैंक को चुकानी पड़ेगी। CIBIL score को fraud के नाम पर खराब नहीं किया जा सकेगा।

सबसे महत्वपूर्ण बात—अब उपभोक्ता मशीन से नहीं, एक प्रशिक्षित मानव अधिकारी से न्याय पाएगा।

यदि आप बैंक फ्रॉड या गलत रिकवरी का सामना कर रहे हैं

अगर आप भी किसी बैंक फ्रॉड, गलत transaction, साइबर स्कैम, credit card dispute, fake recovery call या Ombudsman rejection से जूझ रहे हैं—तो यह निर्णय आपका सबसे मजबूत कानूनी हथियार है।

Delhi Law Firm पूरे भारत में बैंकिंग, consumer rights, cyber fraud और court marriage से जुड़े मामलों में विशेषज्ञता रखता है।

निष्कर्ष और संपर्क जानकारी

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