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परिचय
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जिसने भारत के matrimonial law में महत्वपूर्ण बदलाव किया है।
अब आपसी सहमति वाले तलाक (Mutual Consent Divorce) में 6 महीने का cooling-off period अनिवार्य नहीं है, और Supreme Court इसे Article 142 के तहत पूरी तरह waive कर सकती है।
यह फैसला Shilpa Sailesh बनाम Varun Sreenivasan केस में आया है और लाखों लंबित matrimonial मामलों को प्रभावित करता है।
Historic Case: Shilpa Sailesh v. Varun Sreenivasan
इस केस में पति-पत्नी कई वर्षों से अलग रह रहे थे और उनके बीच कई मामले लंबित थे—
498A, DV Act, Maintenance, Transfer Petitions आदि।
दोनों पक्ष चाहते थे कि विवाद समाप्त हो और marriage को कानूनी रूप से dissolve किया जाए।
लेकिन समस्या यह थी कि Section 13B के तहत:
- एक साल का separation, और
- first motion के 6 महीने बाद second motion
अनिवार्य माना जाता था।
Constitution Bench के सामने मुख्य सवाल
1️⃣ क्या Supreme Court Article 142 के तहत 6 महीने का cooling period waive कर सकती है?
2️⃣ क्या Supreme Court marriage को dissolve कर सकती है, भले ही एक पक्ष विरोध करे, यदि marriage irretrievably broken हो चुकी है?
Supreme Court ने किन judgments पर भरोसा किया?
Court ने कई महत्वपूर्ण फैसलों और principles को देखा, जैसे:
- Union Carbide Case: Article 142 empowers the Court to do complete justice.
- Supreme Court Bar Association Case: Article 142 procedural laws को override कर सकता है।
- Amardeep Singh v. Harveen Kaur: Cooling-off mandatory नहीं।
- Gian Singh, Jitendra Raghuvanshi: Matrimonial settlements को encourage किया जाना चाहिए।
- N.G. Dastane, V. Bhagat: Cruelty और long separation की legal understanding।
इन सभी के आधार पर Court ने कहा कि matrimonial matters में flexibility जरूरी है।
Section 13B(1) और 13B(2) का विश्लेषण
Court ने स्पष्ट कहा:
“6 महीने की अवधि procedural है, substantive नहीं।”
इसलिए genuine settlement और लंबे separation की स्थिति में Supreme Court इसे waive कर सकती है।
Supreme Court ने 5 प्रमुख बातें कही:
1️⃣ Cooling-off period खत्म किया जा सकता है
Article 142 Court को पूरी discretionary power देता है।
2️⃣ Second motion की ज़रूरत नहीं
Settlement होने पर एक ही आदेश में तलाक दिया जा सकता है।
3️⃣ सभी केस एक आदेश में समाप्त
498A, DV, 125 CrPC, FIR, Transfer Petitions — सभी cases एक साथ खत्म हो सकते हैं।
4️⃣ Irretrievable breakdown एक स्वतंत्र ground
दूसरा spouse विरोध करे तब भी Court तलाक दे सकती है।
5️⃣ उद्देश्य: लोगों को लंबी litigation से बचाना
लंबे मुकदमे तकलीफ बढ़ाते हैं, समाधान नहीं।
इस फैसले का आम लोगों के लिए मतलब
अगर आपकी शादी:
✔ पूरी तरह टूट चुकी है
✔ लंबे समय से आप अलग रह रहे हैं
✔ कई केस चल रहे हैं
✔ settlement हो चुका है
तो Supreme Court आपको:
➡ बिना 6 महीने इंतज़ार कराए तलाक दे सकती है
➡ बिना दो motions के तलाक दे सकती है
➡ एक ही आदेश में सभी केस खत्म कर सकती है
यह फैसला लंबे और दर्दनाक litigation से बचाने वाली बड़ी राहत है।
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